भारत के अन्तरिक्ष में बढ़ते क़दमों से पूरी दुनिया आश्चर्यचकित – शशि बाठला
विश्व अंतरिक्ष सप्ताह के छठे दिन आज आज स्थानीय मुकुंद लाल पब्लिक स्कूल सरोजिनी कालोनी मे अंतरिक्ष में खोज और नयी तकनीक विषयों पर एक भाषण प्रतियोगिता और पेंटिंग प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इस प्रतियोगिता का शुभारम्भ विद्यालय की प्रधानाचार्या शशि बाठला ने किया और अपने संबोधन में बच्चों को बताया कि भारत के अन्तरिक्ष में बढ़ते क़दमों से पूरी दुनिया आश्चर्यचकित है। भारतीय अन्तरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो नित नए रिकार्ड कायम कर रहा है जिस से विश्व के लिये भारत एक बड़ा अन्तरिक्ष बाज़ार बन रहा है।
बहुत से देश अपने उपग्रह अब भारत से प्रक्षेपित करवा रहें है जो कि हम सब के लिए गर्व का विषय है। हमारे लिए और भी गर्व की बात है कि नासा जैसे विश्वविख्यात अन्तरिक्ष प्रतिष्ठान में भी बहुत से अन्तरिक्ष वैज्ञानिक भारतीय या भारतीय मूल के ही हैं। एक बड़ी कामयाबी हासिल करते हुए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने देश के पहले ‘एस्ट्रोसैट’ उपग्रह पीएसएलवी-सी30 का प्रक्षेपण कर इतिहास रच दिया।
यह भारत का पहला एस्ट्रोसैट उपग्रह है और इससे ब्रहांड को समझने और सुदूरवर्ती खगोलीय पिंडों के अध्ययन करने में में मदद मिलेगी। 513 किलोग्राम का एस्ट्रोसैट उपग्रह को 6 अन्य विदेशी उपग्रहों के साथ प्रक्षेपित किया गया, जिससे दुनिया के अन्तरिक्ष तकनीक से लैस चंद नामी देशों में भारत का नाम भी आ गया।
इस अवसर पर विद्यार्थियों द्वारा भी चंद्रयान, मंगल मिशन, परग्रहीय जीवन की खोज, अन्तरिक्ष कचरा और निवारण, मौसम और जलवायु नियन्त्रण पर अन्तरिक्षीय नजर, मिशन बृहस्पति, एलियन से दोस्ती, मंगल पर जल और जीवन की तलाश विषयों पर चर्चा की गयी।
बालकों ने खगोलीय घटनाओं सूर्य व चन्द्र ग्रहण आदि के अवलोकन का सामजिक, धार्मिक दृष्टि से प्रचलित अंधविश्वासों पर मंथन और निवारण विषयों पर अपने विचारों और समझ को आपस में सांझा किया। इस अवसर पर बच्चों ने जिला समन्वयक दर्शनलाल से अन्तरिक्ष विज्ञान और विज्ञान पत्रकारिता जैसे क्षेत्र में कैरियर बनाने की संभावनाओं पर चर्चा की।
परिणाम
इन प्रतियोगिताओं में शालिनी भट्ट, मानवी ने प्रथम स्थान प्राप्त किया। आकांक्षा राणा व अमन सैनी ने द्वितीय स्थान प्राप्त किया। पारस बतरा व यश कुमार ने तृतीय स्थान प्राप्त किया।। इस कार्यक्रम मे किरण मनोचा, पूजा कालरा व ममता वर्मा सचदेवा, साक्षी सिक्का व जसप्रीत कौर अध्यापिकाओं का योगदान सराहनीय रहा।
अखबारों में






1 टिप्पणी:
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (21-10-2015) को "आगमन और प्रस्थान की परम्परा" (चर्चा अंक-2136) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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